निर्मल निर्झर नीर ,
नीरद का अम्बर देखा ,
मन उत्कंठा मोर देख ,
मन विह्वल नाचे ,
चातक, मीन, नीर ,
मन भावै ,
स्वाति बूँद चातक
रस पावै ,,
निर्मल निर्झर नीर ,
नीरद का अम्बर देखा ,
जैसे मीन मेघ
जल पाई ,
स्वाति बूँद
शीप महि जाई ,
मोती होई सुलभ
जग सोई ,
तथा कथित यह शब्द
न होई ,,
निर्मल निर्झर नीर ,
नीरद का अम्बर देखा ,
हरित होई जल
पाई तडागा ,
मानव मन उत्कंठा जागा ,,,
निर्मल निर्झर नीर ,
नीरद का अम्बर देखा ,
चहुँ दिश हरित ,
होई जग माहीं ,,
धरा नीर अमृत
होई जाहीं
निर्मल निर्झर नीर ,
नीरद का अम्बर देखा ,
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